राष्ट्र निर्माण में प्राथमिक शिक्षा का महत्व ।
प्राथमिक शिक्षा एक बच्चे को अपनी भाषा में पढने-लिखने का अवसर प्रदान करती है । वह भाषा ज्ञान के साथ-साथ बुनयादी गणित आदि सीख लेता है । प्राथमिक शिक्षा एक बच्चे को विद्वान तो नहीं बनाती पर उसे वह मार्ग दिखानें का कार्य अवश्य करती है जिसपर चलकर बच्चा भविष्य में बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर सफल हो सकता है ।
युवा पीढ़ी ही किसी राष्ट्र का आधार होती है जिस प्रकार कोई भवन बिना नीव के टिक नहीं सकता है उसी प्रकार से कोई भी राष्ट्र युवा शक्ति के बिना प्रगति नहीं कर सकता है । सशक्त एवं जिम्मेदार युवा पीढ़ी के निर्माण में प्रथम योगदान प्राथमिक शिक्षा का ही होता है ।
एक निश्चित उम्र तक के सभी बच्चों को बुनयादी न्यूनतम ज्ञान और कौशल दिया जाना चाहिए । शिक्षा के द्वारा ही आधुनिक समाज में बच्चो को व्यवहारिक कौशल, संस्कृति, जीवनशैली, स्वस्थ्य एवं समाज में उचित व्यव्हार आदि के बारे में सिखाया जा सकता है ।
शिक्षा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है । अर्थव्यवस्था एवं समाज का विकास सिर्फ शिक्षा के द्वारा ही हो सकता है । सुसभ्य, सुसंस्कृत एवं सुशिक्षित राष्ट्र की रचना बिना प्राथमिक शिक्षा के संभव नहीं ।
युवा पीढ़ी ही किसी राष्ट्र का आधार होती है जिस प्रकार कोई भवन बिना नीव के टिक नहीं सकता है उसी प्रकार से कोई भी राष्ट्र युवा शक्ति के बिना प्रगति नहीं कर सकता है । सशक्त एवं जिम्मेदार युवा पीढ़ी के निर्माण में प्रथम योगदान प्राथमिक शिक्षा का ही होता है ।
एक निश्चित उम्र तक के सभी बच्चों को बुनयादी न्यूनतम ज्ञान और कौशल दिया जाना चाहिए । शिक्षा के द्वारा ही आधुनिक समाज में बच्चो को व्यवहारिक कौशल, संस्कृति, जीवनशैली, स्वस्थ्य एवं समाज में उचित व्यव्हार आदि के बारे में सिखाया जा सकता है ।
शिक्षा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है । अर्थव्यवस्था एवं समाज का विकास सिर्फ शिक्षा के द्वारा ही हो सकता है । सुसभ्य, सुसंस्कृत एवं सुशिक्षित राष्ट्र की रचना बिना प्राथमिक शिक्षा के संभव नहीं ।
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